शनिवार, १९ डिसेंबर, २०२०

लगता नही तुम्हे कुछ अजिब सी हैं तू जिंदगी...?

 लगता नही तुम्हे कुछ अजिब सी हैं तू जिंदगी...?


हैं उसका मोल नही.. 

जो नहीं हैं उसकी चाह क्यूँ हैं तुम्हे..?  


जो पाया उसे सम्भाल नहीं सकते..

जो पा नहीं सकते उसके पीछे क्यूँ भागे हैं तू ...? 


सच्चाई चुभती हैं तुम्हे काटो की तरह.... 

सपनो की हसी बडी प्यारी लागे तुम्हे ऐसा क्यूँ..? 


वाह वाह के रीश्तो में तुम्हे प्यार दिखे.. 

डाट दे तुम्हे कोई प्यार सें वो तुम्हे दुश्मन सा लागे क्यूँ..? 


झूठ पर तुम आंख मुंदकर विश्वास रखे.. 

सच्चाई पर तेरे इतने सवाल क्यूँ.....? 


दर्द खरीदता हैं तू अनमोल पल गिरवी रखकर 

सुकून की मुफत जिंदगी तेरे रास क्यूँ नही.....? 


लगता नही तुम्हे कुछ अजिब सी हैं तू जिंदगी...? 

कोणत्याही टिप्पण्‍या नाहीत:

टिप्पणी पोस्ट करा